जगन्नाथ रथयात्रा 2025: परंपरा, महत्त्व और आज की भव्य झलकियां!

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इतिहास और धार्मिक कथा:

जगन्नाथ रथयात्रा भगवान श्रीकृष्ण के जगन्नाथ रूप में पूजन का पर्व है। यह उत्सव हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ओडिशा के पुरी में विशाल रूप से मनाया जाता है।
इस दिन भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को विशाल रथों में विराजमान कर, पुरी के श्रीगुंडिचा मंदिर तक यात्रा करवाई जाती है।

मान्यता है कि:

  • यह वही समय है जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी मौसी के घर (गुंडिचा मंदिर) जाने के लिए रथ पर सवार होते हैं।
  • इस उत्सव में रथ खींचना पुण्यकारी माना जाता है — कहते हैं जो भक्त भगवान का रथ खींचते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

📍 पुरी रथयात्रा 2025:

  • तारीख: 27 जून 2025
  • लाखों श्रद्धालु पुरी में एकत्र होते हैं।
  • 3 विशाल रथ — नंदीघोष (जगन्नाथ), तालध्वज (बलभद्र), और दर्पदलन (सुभद्रा) को सुसज्जित किया जाता है।
  • इस वर्ष पुरी में 10,000+ सुरक्षाकर्मी, वाहन-प्रतिबंध, और शटल सेवा का प्रावधान है।


📍 अहमदाबाद रथयात्रा 2025 (148वीं यात्रा):

  • रथयात्रा की शुरुआत जगन्नाथ मंदिर, जामालपुर से हुई।
  • अमित शाह ने मंगला आरती की, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी उपस्थित रहे।
  • यात्रा में 101 ट्रक झांकियां, 18 हाथी और 100 से अधिक अखाड़े शामिल हुए।
  • AI कैमरा, ड्रोन निगरानी, और 3 स्तरीय सुरक्षा घेरा लगाया गया।


📍 दीघा में पहली रथयात्रा:

  • बंगाल के लोकप्रिय तटीय शहर दीघा में पहली बार रथयात्रा निकाली गई।
  • राज्य सरकार ने सुरक्षा के लिए स्पेशल फोर्स और ट्रैफिक रूटिंग की योजना बनाई।
  • भगवान जगन्नाथ के नवनिर्मित भव्य मंदिर से रथयात्रा प्रारंभ हुई।

🌸 धार्मिक महत्त्व:

  • रथयात्रा केवल उत्सव नहीं, एक आध्यात्मिक यात्रा है।
  • यह भक्त और भगवान के मिलन का प्रतीक है।
  • गुंडिचा यात्रा के 9 दिन बाद, रथ भगवान को वापस उनके मुख्य मंदिर में लाता है — जिसे बहुदा यात्रा कहा जाता है।

📺 वीडियो में क्या है?

  • पुरी, अहमदाबाद और दीघा में हो रही रथयात्रा की ताज़ा झलकियाँ
  • रथों की भव्यता, भक्तों की आस्था और प्रशासनिक तैयारी
  • ऐतिहासिक और धार्मिक जानकारी

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