ईरान-इजरायल युद्ध पर दुनिया की नजरें, व्हाइट हाउस बोला- अमेरिका जल्द ले सकता है युद्ध में शामिल होने का फैसला।
मध्य पूर्व की यह जंग सिर्फ दो देशों के बीच नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने एक बड़ा संकट बनती जा रही है। जैसे-जैसे बड़े देश अपनी स्थिति स्पष्ट करते जा रहे हैं, युद्ध का विस्तार और भी खतरनाक होता जा रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या दुनिया एक और वैश्विक युद्ध की ओर बढ़ रही है?
तेल अवीव/तेहरान: मध्य पूर्व एक बार फिर युद्ध की भीषण आग में झुलसता नजर आ रहा है। ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से चल रहा तनाव अब खुली जंग में तब्दील हो चुका है। इजरायल ने दावा किया है कि उसने ईरान के डिफेंस रिसर्च हेडक्वार्टर को निशाना बनाकर हमला किया है, जिससे वहां भारी नुकसान हुआ है। वहीं, स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान ने अपने दूतावास अस्थायी रूप से बंद करने की घोषणा की है।
इस युद्ध में अब तक सैकड़ों लोग हताहत हो चुके हैं, जबकि हजारों नागरिक पलायन को मजबूर हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र (UN) और अन्य वैश्विक संगठन लगातार संयम बरतने की अपील कर रहे हैं, लेकिन दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
इजरायल ने किया बड़ा हमला, ईरान का रिसर्च सेंटर तबाह
इजरायली डिफेंस फोर्सेज़ (IDF) ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि उन्होंने ईरान के “सैन्य अनुसंधान मुख्यालय” (Defense Research Headquarters) पर सफलतापूर्वक हमला किया है। इजरायली अधिकारियों के अनुसार, यह केंद्र ईरान की मिसाइल और परमाणु तकनीक से जुड़ा हुआ था और इसे निष्क्रिय कर दिया गया है।
IDF प्रवक्ता ने बताया कि यह हमला आत्मरक्षा के तहत किया गया है। “ईरान की ओर से हमारे शहरों पर मिसाइल हमले किए जा रहे हैं, ऐसे में हम चुप नहीं बैठ सकते। हमने यह कदम देश की सुरक्षा के लिए उठाया है,” प्रवक्ता ने कहा।
ईरान ने किया पलटवार, कहा- इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा
दूसरी ओर, ईरान के रक्षा मंत्रालय ने इजरायल के दावे की पुष्टि करते हुए इसे “युद्ध का ऐलान” करार दिया है। तेहरान से जारी बयान में कहा गया है कि इस हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने भी चेतावनी दी है कि अगले 48 घंटों में इजरायल के सैन्य और नागरिक ठिकानों को टारगेट किया जाएगा।
ईरानी मीडिया ने दावा किया है कि हमले में उनके कम से कम 27 वैज्ञानिक और रक्षा अधिकारी मारे गए हैं और रिसर्च सेंटर पूरी तरह ध्वस्त हो गया है।

अमेरिका की चुप्पी टूटी, युद्ध में शामिल होने पर जल्द फैसला
इस संघर्ष में अमेरिका की भूमिका को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा है कि “अमेरिका आने वाले दो सप्ताह में यह तय करेगा कि वह इस संघर्ष में सक्रिय रूप से शामिल होगा या नहीं।” अमेरिका पहले ही अपने नौसैनिक बेड़े को भूमध्यसागर में तैनात कर चुका है।
विश्लेषकों का मानना है कि यदि अमेरिका युद्ध में प्रवेश करता है, तो यह तीसरे विश्व युद्ध जैसी स्थिति बना सकता है, जिसमें नाटो और अन्य महाशक्तियाँ भी शामिल हो सकती हैं।
दुनियाभर में दूतावास बंद, एयर ट्रैफिक प्रभावित
हालात बिगड़ते देख ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान जैसे देशों ने ईरान और इजरायल में अपने दूतावास बंद करने का फैसला लिया है। इसके अलावा कई यूरोपीय देशों ने अपने नागरिकों को इन देशों से निकलने की सलाह दी है।
इजरायल के प्रमुख शहरों में एयरपोर्ट्स आंशिक रूप से बंद हैं और हवाई सेवाओं पर बड़ा असर पड़ा है। वहीं, ईरान ने भी अपने एयरस्पेस को इंटरनेशनल उड़ानों के लिए सीमित कर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र और रूस की शांति की अपील
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से तुरंत युद्धविराम की अपील की है। उन्होंने कहा कि “इस युद्ध से सिर्फ निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं। इस संकट का हल सैन्य नहीं, बल्कि कूटनीतिक होना चाहिए।”
वहीं, रूस और चीन ने भी इस मुद्दे पर संयम बरतने की बात कही है, हालांकि रूस ने संकेत दिया है कि वह ईरान के पक्ष में खड़ा हो सकता है।